राशिफल
मंदिर
आरती : श्री शांतादुर्गेची
आरती लिरिक्स
दुर्गे बहुदु:खदमने रतलो तव भजनी ॥भूकैलासा ऐसी ही कवला नगरी।।
शांतादुर्गा तेथे भक्तभवहारी।।
असुराते मर्दुनिया सुरवरकैवारी।।
स्मरती विधीहरीशंकर सुरगण अंतरी।।
जय देवी जय देवी जय शांते जननी।।
दुर्गे बहुदु:खदमने रतलो तव भजनी ॥
प्रबोध तुझा नव्हे विश्वाभीतरी।।
नेति नेति शब्दे गर्जती पै चारी।।
साही शास्त्रे मथिता न कळीसी निर्धारी।।
अष्टादश गर्जती परी नेणती तव थोरी।।
जय देवी जय देवी जय शांते जननी।।
दुर्गे बहुदु:खदमने रतलो तव भजनी ॥
कोटी मदन रूपा ऐसी मुखशोभा।।
सर्वांगी भूषणे जांबूनदगाभा।।
नासाग्री मुक्ताफळ दिनमणीची प्रभा।।
भक्तजनाते अभय देसी तू अंबा।।
जय देवी जय देवी जय शांते जननी।।
दुर्गे बहुदु:खदमने रतलो तव भजनी ॥
अंबे भक्तांसाठी होसी साकार।।
नातरी जगजीवन तू नव्हसी गोचर।।
विराटरूपा धरूनी करीसी व्यापार।।
त्रिगुणी विरहीत सहीत तुज कैचा पार।।
जय देवी जय देवी जय शांते जननी।।
दुर्गे बहुदु:खदमने रतलो तव भजनी ॥
त्रितापतापे श्रमलो निजवी निजसदनी।।
अंबे सकळारंभे राका शशीवदनी।।
अगमे निगमे दुर्गे भक्तांचे जननी।।
पद्माजी बाबाजी रमला तव भजनी।।
जय देवी जय देवी जय शांते जननी।।
दुर्गे बहुदु:खदमने रतलो तव भजनी ॥
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