श्री लुटरू महादेव चालीसा,
DOHA : ? श्री गणपति को ध्याय के,
सुमिरूं गौरा मात,
श्री लुटरू महादेव जी,
कोटि कोटि नमः नाथ।।
जय जय श्री लुटरू महादेवा,
देव मुनि जन करे तेरी सेवा।। ।।
गुफा मे मोहक छवि है तिहारी,
भक्त जनों के भए तुम हितकारी।। ।।
शिव साजे है परिवार समेता,
तैंतीस कोटि संग बसहिं देवता।। ।।
आदि शिव है अन्त है शिवजी,
जगपति और चराचर शिवजी।। ।।
ॐ नमः शिवाय भक्त जो बोले,
शीघ्र प्रसन्न होते है भोले।। ।।
राजा हिमालय घर खुशियां छाई,
शिव संग गौरा की भई सगाई।। ।।
विवाह लग्न की शुभ घड़ी आई,
देव अतिथि बन शोभा बढ़ाई।। ।।
जीव जगत सृष्टि जश्न मनाए,
शिव दर्शन कर मंगल गाए।। ।।
शिव दर्शन की है सागर ठानी,
आवन लगा सोच बिनु हानि।। ।।
मन सागर का शिवजी जाने,
होगा जल प्रलय लगे घबराने।। ।।
अगस्त्य ऋषि को शिवजी ध्याए,
अर्की गिरी की गुफ़ा तपते पाए।। ।।
मदद को अगस्त्य गुफा शिव आए,
जाए ऋषि जी सागर समझाए।। ।।
भयई प्रसन्न शिव ओघड़ दानी,
सफल भया तप ऋषि ने जानी।। ।।
अगस्त्य ऋषि कर जोड़ के बोले,
मुझ पे मेहर करो शिव भोले।। ।।
चरण तिहारे मम गुफा मे आए,
वास करो यहीं सदा शिवाय।। ।।
प्रसन्न मुद्रा मे शिवजी विराजे,
कुटुंब सहित शिव गुफा मे साजे।। ।।
लटा जटा मे शिव मन भाए,
श्री लुटरु महादेव कहाए।। ।।
विश्वकर्मा ने यह गुफा सजाई,
लुटरु महादेव जी की गुफा कहाई।। ।।
गुफा मे गंगा शिवजी संग आई,
जल अभिषेक करें गंगा माई।। ।।
अगस्त्य ऋषि ने यहां करी थी भक्ति,
चेतन धूने मे है तप की शक्ति।। ।।
शिव दर्शन को है रवि गुफा आए,
किरण रूप के पुष्प चढ़ाएं।। ।।
सोलन जिले मे शहर है अर्की,
लुटरू महादेव जी सुने यहां अर्जी।। ।।
महंत भए शीलनाथ जी ज्ञानी,
शिवहरि जी ने शिव कथा बखानी।। ।।
गद्दी पे सन्मुखानंद जी आए,
सिंहों को दर्शन करते पाए।। ।।
सिद्ध संतों ने गद्दी महिमा बढ़ाई,
गुफ़ा मे आते कर गिरी चढ़ाई।। ।।
ब्रह्मलीन संत बने है सारथी,
धन्य बाबा राम कृपाल भारती।। ।।
पुण्य सब संतों की बनी है समाधि,
शीश नवाते कटें कष्ट और व्याधि।। ।।
उत्सव पर्वो का लगता है मेला,
संत आएं संगत आएं गुरु चेला।। ।।
गुरु पूर्णिमा व महाशिवरात्री,
देश विदेशों से आएं भक्त यात्री।। ।।
गिरी जंगल मे है मंगल भारी,
रंग बरसाएं शिव त्रिशूल धारी।। ।।
लुटरु महादेव जन-जन को प्यारा,
जिसने सुमिरा मिला सहारा।। ।।
लुटरु महादेव के गुण जो गाए,
मोक्ष पाए शिव लोक को जाए।। ।।
लुटरु महादेव जी को जपो निरंतर,
सर्व कार्य सिद्ध करें शिव शंकर।। ।।
लुटरु महादेव है अन्न धन दाता,
सृष्टि के शिवजी भाग्य विधाता।। ।।
लुटरु महादेव जी रूप फलदाई,
जेहिं मांगे मन्नत सोई तेहिं पाई।। ।।
लुटरू महादेव को भोग लगे न्यारा,
भांग धतूरा बाबा खींचे सुट्टा सारा।। ।।
यत्र तत्र शिव सर्व व्योम मे,
लुटरू महादेव रमे रोम रोम में।। ।।
गद्दी विराजे बाबा विजय भारती,
संग पीठासीन हरिओम भारती।। ।।
पढ़ो श्री लुटरु महादेव चालीसा,
शिव देंगे वरदान आशीषा।। ।।
लुटरु महादेव जै जै अंतर्यामी,
शरणागत स्वामी।। ।।
DOHA : ? श्री लुटरू महादेव जी,
हो तुम ही मेरी आस,
दया दास पे कीजियो,
दो श्री चरणों मे वास।।
इति श्री लुटरू महादेव चालीसा।।
सौजन्य से ? श्री लुटरू महादेव सुधार समिति।।
ब्रांच ? मंडी गोबिंदगढ़।।