**************** ADD ************************
The official logo for the brand - Prem Bhakti
Menu Icon
The official logo for the brand - Prem Bhakti
राशिफल dropdown arrow icon
आज का राशिफलकल का राशिफलबीते कल का राशिफलसाप्ताहिक राशिफलमासिक राशिफल
मंदिर dropdown arrow icon
सभी मंदिरप्रसिद्ध मंदिरदेवता के मंदिरस्थान अनुसार मंदिर
आरतीभजनचालीसामंत्रकथाकहानीआज का पंचांगज्योतिषी से बात

माँ अन्नपूर्णा चालीसा

चालीसा लिरिक्स

।। माँ अन्नपूर्णा चालीसा ।।
** दोहा **
विश्वेश्वर पदपदम की रज निज शीश लगाय।
अन्नपूर्णे, तव सुयश बरनौं कवि मतिलाय।
।। चौपाई ।।
नित्य आनंद करिणी माता,
वर अरु अभय भाव प्रख्याता ।।

जय सौंदर्य सिंधु जग जननी,
अखिल पाप हर भव-भय-हरनी ।।

श्वेत बदन पर श्वेत बसन पुनि,
संतन तुव पद सेवत ऋषिमुनि ।।

काशी पुराधीश्वरी माता,
माहेश्वरी सकल जग त्राता ।।

वृषभारुढ़ नाम रुद्राणी,
विश्व विहारिणि जय कल्याणी ।।

पतिदेवता सुतीत शिरोमणि,
पदवी प्राप्त कीन्ह गिरी नंदिनि ।।

पति विछोह दुःख सहि नहिं पावा,
योग अग्नि तब बदन जरावा ।।

देह तजत शिव चरण सनेहू,
राखेहु जात हिमगिरि गेहू ।।

प्रकटी गिरिजा नाम धरायो,
अति आनंद भवन मँह छायो ।।

नारद ने तब तोहिं भरमायहु,
ब्याह करन हित पाठ पढ़ायहु ।। 10 ।।

ब्रहमा वरुण कुबेर गनाये,
देवराज आदिक कहि गाये ।।

सब देवन को सुजस बखानी,
मति पलटन की मन मँह ठानी ।।

अचल रहीं तुम प्रण पर धन्या,
कीहनी सिद्ध हिमाचल कन्या ।।

निज कौ तब नारद घबराये,
तब प्रण पूरण मंत्र पढ़ाये ।।

करन हेतु तप तोहिं उपदेशेउ,
संत बचन तुम सत्य परेखेहु ।।

गगनगिरा सुनि टरी न टारे,
ब्रहां तब तुव पास पधारे ।।

कहेउ पुत्रि वर माँगु अनूपा,
देहुँ आज तुव मति अनुरुपा ।।

तुम तप कीन्ह अलौकिक भारी,
कष्ट उठायहु अति सुकुमारी ।।

अब संदेह छाँड़ि कछु मोसों,
है सौगंध नहीं छल तोसों ।।

करत वेद विद ब्रहमा जानहु,
वचन मोर यह सांचा मानहु ।। 20 ।।

तजि संकोच कहहु निज इच्छा,
देहौं मैं मनमानी भिक्षा ।।

सुनि ब्रहमा की मधुरी बानी,
मुख सों कछु मुसुकाय भवानी ।।

बोली तुम का कहहु विधाता,
तुम तो जगके स्रष्टाधाता ।।

मम कामना गुप्त नहिं तोंसों,
कहवावा चाहहु का मोंसों ।।

दक्ष यज्ञ महँ मरती बारा,
शंभुनाथ पुनि होहिं हमारा ।।

सो अब मिलहिं मोहिं मनभाये,
कहि तथास्तु विधि धाम सिधाये ।।

तब गिरिजा शंकर तव भयऊ,
फल कामना संशयो गयऊ ।।

चन्द्रकोटि रवि कोटि प्रकाशा,
तब आनन महँ करत निवासा ।।

माला पुस्तक अंकुश सोहै,
कर मँह अपर पाश मन मोहै ।।

अन्न्पूर्णे सदापूर्णे,
अज अनवघ अनंत पूर्णे ।। 30 ।।

कृपा सागरी क्षेमंकरि माँ,
भव विभूति आनंद भरी माँ ।।

कमल विलोचन विलसित भाले,
देवि कालिके चण्डि कराले ।।

तुम कैलास मांहि है गिरिजा,
विलसी आनंद साथ सिंधुजा ।।

स्वर्ग महालक्ष्मी कहलायी,
मर्त्य लोक लक्ष्मी पदपायी ।।

विलसी सब मँह सर्व सरुपा,
सेवत तोहिं अमर पुर भूपा ।।

जो पढ़िहहिं यह तव चालीसा,
फल पाइंहहि शुभ साखी ईसा ।।

प्रात समय जो जन मन लायो,
पढ़िहहिं भक्ति सुरुचि अघिकायो ।।

स्त्री कलत्र पति मित्र पुत्र युत,
परमैश्रवर्य लाभ लहि अद्भुत ।।

राज विमुख को राज दिवावै,
जस तेरो जन सुजस बढ़ावै ।।

पाठ महा मुद मंगल दाता,
भक्त मनोवांछित निधि पाता ।। 40 ।।

** दोहा **
जो यह चालीसा सुभग,
पढ़ि नावैंगे माथ।
तिनके कारज सिद्ध सब,
साखी काशी नाथ ।।

अन्य प्रसिद्ध चालीसा

माँ विन्ध्येश्वरी चालीसा

** दोहा **नमो नमो विन्ध्येश्वरी,नमो नमो जगदम्ब।सन्तजनों के काज में,करती नहीं विलम्ब ।। जय जय जय विन्ध्याचल रानी।आदिशक्ति...

श्री विष्णु चालीसा

** दोहा **विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय।कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय। ।। चौपाई ।। नमो विष्णु भगवान खरारी।कष्ट ...

तुलसी माता चालीसा

** दोहा **जय जय तुलसी भगवती सत्यवती सुखदानी।नमो नमो हरि प्रेयसी श्री वृन्दा गुन खानी ।। श्री हरि शीश बिरजिनी, देहु अमर व...

श्री कृष्ण चालीसा

** दोहा **बंशी शोभित कर मधुर,नील जलद तन श्याम।अरुण अधर जनु बिम्बफल,नयन कमल अभिराम ।। पूर्ण इन्द्र, अरविन्द मुख,पीताम्बर ...

शिव चालीसा

** दोहा **जय गणेश गिरिजा सुवन,मंगल मूल सुजान।कहत अयोध्यादास तुम,देहु अभय वरदान ।। ।। चौपाई ।। जय गिरिजा पति दीन दयाला।स...

नवग्रह चालीसा

** दोहा **श्री गणपति गुरुपद कमल,प्रेम सहित सिरनाय।नवग्रह चालीसा कहत,शारद होत सहाय ।। जय जय रवि शशि सोम बुध,जय गुरु भृगु ...

सभी चालीसा खोजें