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कबीर वाणी भजन - अरे क्यु नैणा भरमावे थारे हाथ कबीरो नही आवे लिरिक्स
लिरिक्स
अरे क्यु नैणा भरमावे,थारे हाथ कबीरो नही आवे।। ।।
अमर लोक से आई अपसरा,गल मोतीयन की माला ओ,नाच कूद ने तान बतावे,कबीर का रूप हरतारा ओ,अरे क्यु नैणा भरमावें,थारे हाथ कबीरो नही आवे।। ।।
जोगी मोया जती मोया,शंकर नेजा धारी ओ,पहाड़ो रा अवधूत मोया,अबके कबीर थारी वारी,अरे क्यु नैणा भरमावें,थारे हाथ कबीरो नही आवे।। ।।
रूपो पेर रूप दिखावे,सोनो पेर रिझावे जी,नाच कूद ने तान बतावे,तोइ कबीर ना रिझावे,अरे क्यु नैणा भरमावें,थारे हाथ कबीरो नही आवे।। ।।
ईन्दर बरये धरती भीगे,पत्थर रो कई भीगे ओ,मत कर सुरता आटक झाटक,तोई कबीर ना रिझावे,अरे क्यु नैणा भरमावें,थारे हाथ कबीरो नही आवे।। ।।
जात जलावो नाम कबीरो,हे काशी रो वासी जी,मारे मन मे एड़ी आवे,एक माता दूजी मासी जी,अरे क्यु नैणा भरमावें,थारे हाथ कबीरो नही आवे।। ।।
पांच इन्द्रियां वश मे किनी,बांधी काचे धागे जी,रामानन्द रा भणे कबीरा,सूती सुरता जागी जी,अरे क्यु नैणा भरमावें,थारे हाथ कबीरो नही आवे।। ।।
अरे क्यु नैणा भरमावे,थारे हाथ कबीरो नही आवे।। ।।
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